आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी लोगों कों डिटर्जेन्ट केक यानी कपड़ा धोने का साबुन बनाने की और इसका लघु उद्योग स्थापित करने की पूरी प्रक्रिया के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देना चाहते हैं।
जैसे- डिटर्जेन्ट केक बनाने का कच्चा माल, आवश्यक मशीनरी एवं उपकरण निर्माण करने की विधि लागत एवं खर्च आदि।
और इस व्यवसाय को प्रारम्भ करने के लिये कौन- कौन सी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। इसके साथ ही साथ इस व्यवसाय को शुरु करके कितने समय में कितना लाभ अर्जित किया जा सकता है और आत्मनिर्भर बना जा सकता है।
इसलिये बडे ध्यान से इस लेख को गम्भीरतापूर्वक विस्तार से पढ़ लें।
डिटर्जेन्ट केक (कपडे धोने का साबुन) की आवश्यकता एवं उपयोगिताः- Detergent Cake Importance In India
दोस्तों, डिटर्जेन्ट साबुन की उपयोगिता किसी से छिपी नही है। यह व्यक्ति के रोजमर्रा की जिन्दगी का एक अभिन्न हिस्सा है जिसके बगैर किसी भी व्यक्ति का काम चलना बड़ा मुश्किल होता है।
डिटर्जेन्ट साबुन बनाने का कारोबार सभी प्रकार से लाभदायक ही सिद्ध होता है क्योंकि डिटर्जेन्ट साबुन एक ऐसी घरेलू वस्तु है जो प्रत्येक घर में हर दिन कपड़े साफ करने, बर्तन में लगे दाग धब्बों को साफ करने और कहीं-कहीं पर जिद्दी मैल आदि को साफ करने में इसका इस्तेमाल अधिकाधिक रुप में किया जाता है।
यात्रा के दौरान यात्रियों के द्वारा वाशिंग पाउडर की जगह पर डिटर्जेन्ट साबुन का इस्तेमाल किया जाना कहीं ज्यादा सुविधाजनक माना जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ बड़ी भारी मात्रा में जनसंख्या निवास करती है
और सारे के सारे लोग अनेक प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग आये दिन करते ही रहते हैं। अब बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि कपड़े प्रयोग में लाये जायेंगे तो कपड़े गन्दे भी होंगे
और यदि कपड़े गन्दे होंगे तो उन्हें साफ करने की आवश्यकता भी होगी और कपड़ो को साफ करने के लिये अधिकांश लोगों के द्वारा डिटर्जेन्ट साबुन का इस्तेमाल होता ही होता है।
इसलिये यह व्यवसाय काफी फायदेमन्द है और लाभ की दृष्टि से उचित भी है क्योंकि लोगों के द्वारा प्रचलन में डिटर्जेन्ट पाउडर की अपेक्षा डिटर्जेन्ट साबुन का प्रयोग बहुत सहज एवं सरल माना जाता है।
डिटर्जेन्ट साबुन प्रयोग करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिना किसी बाल्टी या मग के भी इसका प्रयोग लोगों के द्वारा बहुधा कर लिया जाता है।
काफी लम्बे समय तक खराबी न आने के कारण इस व्यवसाय में नुकसान होने की सम्भावना नही के बराबर है।
डिटर्जेन्ट साबुन बनाने के लिये कच्चा माल ( रा मैटेरियल्स) एवं आवश्यक मशीनरीः- Detergent Cake (Soap) Making Raw Material & Machinery.
- एसिड स्लरी
- एओएस
- डीकोल
- सीबीएक्स
- साबुन प्रोडर मशीन (डाई)
- सोडा एस
- डोलोमाईट 8-
- पैकिंग मशीन
- सोडियम सिलिकेट
- पालीमर
- परफ्यूम
- कलर
- सिग्मा मिक्चर मशीन
डिटर्जेन्ट साबुन निर्माण हेतु कच्चा माल (Raw Material)
डिटर्जेन्ट साबुन निर्माण हेतु कच्चे माल की प्राप्ति स्थानीय बाजारों में की जा सकती है अथवा इन्टरनेट पर गूगल में सर्च करके इन सभी कच्चे मालों की खरीददारी इनके निर्माण करने वाली कम्पनियों के द्वारा आनलाईन माध्यम से उचित दर पर बड़ी सुगमता से किया जा सकता है।
डिटर्जेन्ट साबुन बनाने के लिये आवश्यक कानूनी प्रक्रियाः- Detergent Cake (Soap) Plant Registration
दोस्तो, किसी भी व्यवसाय की शुरुआत करने से पहले बुद्धिमान व्यक्ति उस व्यवसाय से सम्बन्धित सभी कानूनी प्रक्रियाओं को भली-भाँति समझकर उसे पूरा कर लेते हैं
जिससे व्यवसाय प्रारम्भ करते समय या व्यवसाय को आगे बढाते समय किसी प्रकार की कोई समस्य़ा न उत्पन्न हो। इसके लिये आवश्यक है
कि इस व्यवसाय को शुरुआत करने से पहले आप सभी निम्नलिखित कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कर लें।
सबसे पहले आप अपने व्यवसाय का उद्योग आधार में पंजीकरण करवा लें। यह पंजीकरण आनलाईन किसी भी स्थान से किसी भी समय कराया जा सकता है और यह पूर्णतः निःशुल्क होता है।
इसके साथ ही साथ वस्तु एवं सेवा कर (जी0 एस0 टी0) में भी पंजीयन करवा लें ताकि टैक्स सम्बन्धी सभी समस्याओं से बचा जा सके। लगे हाथ अपने व्यवसाय की पक्की रसीद छपवाना न भूलें।
डिटर्जेन्ट साबुन निर्माण की विधि एवं प्रक्रियाः- Detergent Cake (Soap) Making Process
यदि हम 100 किलोग्राम डोलोमाईट पाउडर से डिटर्जेन्ट साबुन निर्माण करने की बात करते हैं तो सबसे पहले सिग्मा मिक्सर मशीन में इस पाउडर को डाल देते हैं और मशीन को चालू कर देते हैं
इसके बाद मशीन के अन्दर निर्धारित स्थान में क्रमशः 20 किलो स्लरी, 4 किलो एओएस, डीकोल, सीबीएक्स, 5 किलो सोडाएस इतनी चीजें डालने के बाद मशीन को आधा घण्टा तक मिक्सर करते रहने के लिये छोड़ देते हैं
बाद में इसमें 10 किलो सोडियम सिलिकेट भी इसी मिश्रण में डालकर उसे भी अच्छी तरह से मिला लेते हैं। साबुन से खुशबू आती रहे इसके लिये इन सभी सामग्रियों में 150 एम एल परफ्यूम का भी मिलावट करते हैं।
इसके साथ ही साथ साबुन के इस मिश्रण में पालीमर 5 किलो की मात्रा में मिला देते हैं जिससे हाथों और त्वचा को किसी प्रकार की जलन या नुकसान से बचाया जा सके।
साबुन को अपेक्षित रंग प्रदान करने के लिये इस मिश्रण में आप अपनी रुचि के अनुसार कलर डाल सकते हैं।
सभी चीजों का भली प्रकार से मिलान हो जाने पर तैयार मिश्रण कुछ इस प्रकार होता है कि जैसे घरों मे महिलायें गुथे हुए आटे को बना देती हैं फिर तैयार मिश्रण को मशीन का ढक्कन उठाकर लोहे की एक बड़ी सी ट्रे नीचे लगा देते हैं
जिससे मिश्रण को बड़ी सरलता से सुविधापूर्वक निकाला जा सके और दूसरी मशीन तक ले जाया जा सके।
इसके बाद साबुन प्रोडर मशीन मुँह पर साबुन बनाने की डाई को कस दिया जाता है और मशीन के अन्दर तैयार मिश्रण को डाल दिया जाता है।
प्रारम्भ में मशीन के द्वारा टेढे-मेढे साबुन के लट्ठे निकलते हैं जिनको काटकर फिर से मशीन के अन्दर डाल दिया जाता है
ताकि वे भी साबुन बनकर बाहर निकल जाये। इसके बाद मिश्रण से बने हुए साबुन के लम्बे-लम्बे लट्ठों को साबुन कटर मशीन पर हाथ से कुछ इस प्रकार सावधानी से रखते है कि साबुन निर्धारित आकार में कट कट कर बाहर निकल जाय
और फिर पैकिंग मशीन की सहायता से पालीथीनों में पैक कर दिया जाता है। आपका साबुन बाजार में बिकने के लिये तैयार है।
मशीनरी की लागत एवं खर्चः-
डिटर्जेन्ट साबुन बनाने की सारी मशीनरी लागत लगभग 2 लाख रुपये से ढाई लाख रुपये तक आती है जिससे आदमी बड़ी सुगमता से अपने इस लघु उद्योग की शुरुआत कर सकता है।
स्मार्ट आइडियाः- दोस्तों समय का कोई भी दौर हो यह सही है कि परिश्रम का कोई विकल्प नही है। कहने का मतलब यह है कि जो भी व्यक्ति अपने परिश्रम और अपनी भुजाओं पर विश्वास करके किसी भी कार्य को प्रारम्भ करता है, वह निःसन्देह एक न एक दिन बुलन्दियों को छू लेता है। बस आवश्यकता इस बात की है कि किसी भी कार्य को करने का जज्बा उसमे कहाँ तक भरा हुआ है। यह देखने में जरुर एक लघु उद्योग है परन्तु यह विचार करने योग्य है कि इससे कोई भी व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है और दूसरे लोगों को भी खड़ा होने का अवसर दे सकता है।
नोट : इस व्यवसाय को करने से पहले ट्रेनिंग अवश्य लें, जहाँ से आप मशीन लेते हैं उनसे इसकी ट्रेनिंग की बात अवश्य कर लें.